अब दो दिन बाद दिल्ली पर चढ़ाई करने निकलेंगे किसान
खनौरी बॉर्डर पर किसान की मौत और तनावपूर्ण माहौल के बाद किसानों का बड़ा फैसला
गर्वित शर्मा
दिल्ली के खिनौरी बॉर्डर, शंभू बॉर्डर पर पिछले 9 दिन से चल रहे धरने के बाद कल यानी 21 दिसंबर को दिल्ली कूच का ऐलान किया था। किसानों ने दिल्ली की ओर कूच भी की लेकिन इसी बीच पुलिस से हुई मुठभेड़ में हालात तनावपूर्ण हो गए। इस मुठभेड़ में विभिन्न कारणों से 3 पुलिसकर्मियों सहित 6 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद किसान नेता सरवण पंधेर ने इस कूच को 2 दिन टालने का ऐलान कर दिया। इस दौरान पंधेर ने कहा कि 2 दिन तक हम प्लान करेंगे उसके बाद दिल्ली कूच करेंगे। इसके बाद खनौरी - दातासिंहवाला बॉर्डर पर किसानों की तरफ से सफेद झंडा लहराया गया। इसके जवाब में प्रशासन ने भी सफेद झंडा लहरा दिया। अब दोनों पक्षों की और से शांति है।
इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने फिर से किसानों को बातचीत के लिए न्योता भेजा था। आपको बता दें कि इससे पहले भी किसानों की 4 बार सरकार से वार्ता हुई है जिसका अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
यदि बात की जाए इस 21 दिसंबर के दिन क्या हुआ तो यह कहा जा सकता है कि यह बड़ा ही अजीब दिन रहा। किसानों ने दिल्ली की ओर कूच शुरू तो की लेकिन पुलिस उन्हें रोकने में कामयाब हो गई चाहे तरीका कुछ भी रहा हो। इस दौरान सारे दिन शंभू और खिनौरी बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच जमकर मुठभेड़ चली। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए रबर बुलेट और आंसू गैस के गोलों का उपयोग किया।
पूरे दिन चली इस मुठभेड़ में कुल मिलाकर 6 लोगों की मौत हो गई। खिनौरी बॉर्डर पर भटिंडा के रहने वाले एक युवा किसान की भी मौत हुई। इसके अलावा 12 और किसान भी घायल हुए जिनमे से 2 की हालत नाजुक बताई जा रही है। वहीं दूसरी तरफ टोहाना बॉर्डर पर ड्यूटी कर रहे एसआई विजय कुमार की अचानक से तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया वहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
वहीं शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान आंदोलन के कोर्डिनेटर, किसान नेता सरवण पंधेर को आंसू गैस का एक्सप्लोजर हुआ जिसके बाद उन्हें बाहर ले जाया गया। वहीं आंदोलन के एक और बड़े नेता जगजीत डल्लेवाला को भी आंसू गैस की वजह से सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ा जिसके बाद उन्हें भी धरनास्थल से बाहर ले जाया गया।
इस पर जींद के पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार का कहना है कि " इस आंदोलन के दौरान कुछ लोगों ने धान की पराली में आग लगाकर मिर्ची डाल दी और पुलिस पर हमला कर दिया। धुंआ ज्यादा होने से काफी किसानों ने तलवार, भाला और गंडासे से पुलिस पर हमला किया जिसमें 12 जवान घायल हो गए हैं।"
अब अगले 2 दिन जहां एक और किसान रणनीति बनाएंगे कि किस प्रकार वह दिल्ली की चढ़ाई करें तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन भी उन्हें रोकने के अपने बंदोबस्त को दुरुस्त करेगा या हो सकता है इससे पूर्व ही किसानों की समस्याओं का हल निकल जाए और आंदोलन समाप्त हो जाए। लेकिन यदि आंदोलन समाप्त नहीं होता है तो किसान किस तरह दिल्ली की ओर कूच करेंगे या प्रशासन इनको रोकने में क्या कामयाब होगा यह बात दिलचस्प होगी। क्या पिछली बारी हुए किसान आंदोलन की तरह इस बार भी सरकार को किसानों की मांगें माननी पड़ेगी या किसान हार मान जायेंगे यह बात देखने लायक होगी।